Wednesday, October 16, 2013
Tuesday, October 8, 2013
सुबह ऐसी भी होती है?
ज़रा सोचिये, रात में भूकंप के झटकों ने आपकी नींद खराब की हो और फ़िर सुबह-सुबह आपका साथी आपको टहलने की लिये कहे। आप बेमन से उठें और घर से बाहर निकलें। निकलते ही आप देखते हैं कि आपका रास्ता सुंदर फ़ूलों से सजा हुआ है, हवा में एक हल्की सी पर बहुत अच्छी गंध है, गुनगुनी धूप सुबह की ठंड को काट रही है, तमाम पक्षी चहचहाकर आपका स्वागत कर रहे हैं। और अपने घर से कुछ आगे बढ़ते ही आपको ऐसा कुछ दिखता है जिसे देखकर आपको लगता है कि आप किसी और ही दुनियां में हैं। देखिये जरा इन तस्वीरों को, ये उसी नजारे की हैं जिसने आज मेरा और ना जाने मेरे जैसे कितनों का ही दिन बना दिया।
सच ही कहा है किसी ने...
उठ जाग मुसाफ़िर भोर भई,
अब रैन कहां जो सोवत है,
जो सोवत है सो खोवत है,
जो जागत है सो पावत है।
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