Tuesday, February 16, 2016

मौत से पहले के वो 20 मिनट: फ्रांस में हुए आखिरी मृत्युदंड का दस्तावेज

यह दस्तावेज Marseilles की जेल में 10 सितम्बर 1977 को  मृत्युदंड[1] दिये जाने से पहले हत्या के दोषी पाये गये Hamida Djandoubi के जीवन के आखिरी कुछ क्षणों का एक लिखित रिकार्ड है।   

यह रिकार्ड - जिस पर 9 सितंबर की तारीख पड़ी हुई है - उस एक जज के द्वारा दर्ज किया गया था जिसे इस मृत्युदंड का साक्षी होने के लिये नियुक्त किया गया था।
 
Djandoubi का मृत्युदंड फ्रांस में दिया गया आखिरी मृत्युदंड था जिसके बाद 1981 में मौत की सजा समाप्त कर दी गई।

ट्यूनिशिया के नागरिक Djandoubi को अपनी पूर्व प्रेमिका Elisabeth Bousquet की हत्या के दोष में मौत की सजा सुनाई गई थी।
 
उसे सितम्बर 1977 को Marseilles की जेल में मृत्युदंड दिया गया।

आगे का ब्यौरा मृत्युदंड की उस रात जज Monique Mabelly ने लिखा था। Mabelly ने यह पत्र अपने बेटे को सौंपा, जिसने इस पत्र को न्याय विभाग के पूर्व मंत्री Robert Badinter तक पहुंचा दिया जिन्होंने सफलतापूर्वक फ्रांस में मौत की सजा के उन्मूलन के लिए अभियान चलाया।

अंतत: Badinter ने इस पत्र को फ्रेंच अखबार Le Monde को दिया, जिसमें यह पत्र 9 अक्टूबर, 2013 को छपा। आगे उस पत्र का अनुवाद है।

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9 सितम्बर 1977

ट्यूनिशिया के नागरिक Djandoubi का मृत्युदंड 

दोपहर 3 बजे, पीठासीन न्यायधीश R. से सूचना मिली कि मुझे मृत्युदंड के दौरान सहायता करने के लिये नियुक्त किया गया है। मैं इससे भागना चाह रहा था, लेकिन कुछ कर नहीं सकता था। सारी दोपहर मैं इसी के बारे में सोचता रहा। मेरी भूमिका अपराधी के दिये गये बयानों को नोट करने की होने वाली थी।

शाम 7 बजे, मैं B. और B. B. के साथ एक फिल्म देखने निकल गया, फिर हमने उसके घर पर कुछ खाया और देर रात 1 बजे तक फिल्म देखते रहे। मैं घर गया। कुछ काम निपटाकर, अपने बिस्तर पर लेट गया। जैसी मैंने गुजारिश की थी, मिस्टर B.L. ने सुबह 3:15 पर मुझे फोन किया। मैं तैयार हुआ। पुलिस की एक कार मुझे सुबह सवा चार पर लेने आई। सफर के दौरान किसी ने एक शब्द भी नही कहा।

हम Marseilles की Baumettes जेल पहुंचे। हर कोई वहां था। डिस्ट्रिक्ट एटार्नी (DA) सबसे आखिरी में आये। एक बड़ा समूह बन गया। 20-30 गार्ड - 'अधिकारी'। हमारे चलने के गलियारे में भूरे कंबल बिछा दिये गये थे ताकि चलने की आवाज ना हो। रास्ते में तीन जगहों पर टेबलों पर तौलिये और पानी के बर्तन रखे हुए थे।

कमरे का दरवाजा खोला गया। मैंने सुना, कोई कह रहा था कि कैदी सो तो नहीं रहा लेकिन ऊंघ रहा है। उसे 'तैयार' किया गया। काफी समय लगा, क्यूंकि उसकी एक टांग नकली थी जिसे लगाना जरूरी था। हम सभी इंतजार करते रहे। कोई कुछ न बोला। मुझे लगा इस चुप्पी और कैदी की सतही शांति से वहां मौजूद लोगों को राहत मिली। कोई भी रोना-चिल्लाना या विरोध सुनना नहीं चाह रहा था। समूह में कुछ अदला-बदली हुई और हम वापस उसी रास्ते पर चल पड़े। रास्ते के कंबल थोड़ा किनारे की ओर सरका दिये गये था और हम अब अपने कदमों से होने वाले शोर को बचाने की कोशिश नहीं कर रहे थे।

एक टेबल पर आकर हम सभी ठहर गये। कैदी को कुर्सी पर बैठाया गया। उसके हाथ पीछे की ओर हथकड़ी से बंधे हुए थे। एक गार्ड ने उसे एक फिल्टर सिगरेट दी। बिना कुछ कहे वो उसे पीने लगा। वो एक जवान आदमी था। करीने से काढ़े गहरे काले बाल। उसके नैन-नक्श सुंदर थे, लेकिन वो कुछ अस्वस्थ सा लग रहा था और उसकी आंखों के नीचे गहरे काले धब्बे थे। ना तो वह बेवकूफ लग रहा था और ना ही वहशी। बस एक खूबसूरत युवक। वो सिगरेट पी रहा था और तुरन्त ही उसने अपनी हथकड़ी के कुछ सख्त होने की बात कही। इसी क्षण मेरा ध्यान जल्लाद पर गया जो उसके पीछे अपने दो सहयोगियों के साथ खड़ा हुआ था। उसके हाथों में एक रस्सी थी।

पहले ये मंशा थी कि हथकड़ी को रस्सी से बदल दिया जाएगा लेकिन फिर यह तय हुआ कि उन्हें हटा ही दिया जाए, और फिर जल्लाद ने कुछ भयावह और दु:खद कहा ‘देखो, तुम आज़ाद हो गए!’ मेरे पूरे शरीर में सिहरन दौड़ गई.... कैदी अपनी सिगरेट पीता रहा जो बस खत्म होने को थी, और उसे दूसरी दे दी गई। उसके हाथ खुले हुए थे और वो आहिस्ता-आहिस्ता पी रहा था। तब मुझे लगा कि उसे यह एहसास होने लगा था कि सब खत्म हो चुका है, कि अब वो बच नहीं सकता – उसकी जिंदगी का अंत सामने ही है, और आखिरी के कुछ लम्हें जो बचे हुए हैं वो भी बस तब तक जब तक सिगरेट बाक़ी है।

उसने अपने वकीलों से मिलने की गुजारिश की। मिस्टर P. और मिस्टर G. आए। काफी धीमी आवाज में उसने उनसे बातें की क्यूंकि जल्लाद के दोनों सहयोगी उसके एकदम करीब खड़े हुए थे, मानों वो उसकी जिंदगी के इन आख़िरी लम्हों को उससे छीन लेना चाहते हों। उसने कागज़ का एक टुकड़ा मिस्टर P. को दिया जिसने उसके अनुरोध पर उसे फाड़ दिया, और एक लिफाफा मिस्टर G. को दिया। उसने ज्यादा बात नही की। वो दोनों उसकी दोनों ओर खड़े हुए थे और उन दोनों ने आपस में भी बातें नहीं की। इंतज़ार चलता रहा। उसने जेलर से मिलने की गुजारिश की और उससे ये सवाल किया कि उसके बाद उसकी चीजों का क्या होगा।

दूसरी सिगरेट भी खत्म हो चुकी थी। पौन घंटा बीत चुका था। एक जवान और दोस्ताना गार्ड एक गिलास और रम की बॉटल लिए आगे बढ़ा। उसने कैदी से पूछा कि क्या वो शराब पीना चाहेगा और आधा गिलास भर दिया। वो आहिस्ता-आहिस्ता पीने लगा। अब वो समझ चुका था कि उस जाम के खत्म होने के साथ ही उसकी जिंदगी भी खत्म हो जाने वाली है। अपने वकीलों से उसने कुछ और बातें की। उसने उस गार्ड को बुलाया जिसने उसे रम दी थी और उससे कागज़ के उन टुकड़ो को उठाने को कहा जिन्हें मिस्टर P. ने फाड़कर ज़मीन पर फेंक दिया था। गार्ड नीचे झुका, टुकड़े उठाए और मिस्टर P. को थमा दिए, जिसने उन्हें अपनी पॉकेट में रख लिया।

ये वही मौका था जब सब कुछ अस्पष्ट सा हो गया। ये इंसान मरने वाला है, ये बात उसे पता है; वो जानता है कि अपने अंत को चंद और मिनट टालने के अलावा वो और कुछ नहीं कर सकता। पर वो एकदम उस छोटे बच्चे की तरह बर्ताव कर रहा है जो अपने सोने के समय को टालने के लिए कुछ भी कर सकता हो! एक बच्चा जो यह जानता हो कि उसकी हर इच्छा पूरी की जायेगी और जो इस बात का पूरा फ़ायदा उठाए। कैदी अपनी रम पी रहा था, धीमे-धीमे, चुस्कियाँ लेते हुए। उसने ईमाम को बुलाया और अरबी में उससे बात की। ईमाम ने भी अरबी में ही उससे बात की।

गिलास बस खाली होने की कगार पर था, और अपनी आखिरी कोशिश करते हुए उसने एक और सिगरेट की माँग की: एक Gauloise या शायद Gitane  [तेज और काले तंबाखू से बनी बिना फिल्टर की सिगरेट], क्यूंकि उसे पिछली वाला ब्रांड पसंद नही आया था। उसकी इस गुजारिश को शांति, लगभग पूरी गरिमा के साथ पूरा किया गया। लेकिन जल्लाद, जो उस समय तक अधीर हो चुका था, ने टोकते हुए कहा: “हमने पहले ही इससे काफी अच्छा, एकदम इंसानों की तरह सुलूक किया है, लेकिन अब यह सब जल्दी ही निपटा लेना चाहिए।” जिसके चलते, कैदी के लगातार अनुरोध व इतना कहने के बावजूद कि “ये आख़िरी होगी”, DA ने उसकी सिगरेट की माँग ठुकरा दी। सहयोगियों को एक प्रकार की शर्मींदगी का एहसास हुआ। कैदी को कुर्सी पर बैठे लगभग 20 मिनट हो चुके थे। 20 मिनट, कितना लंबा समय लेकिन फिर भी कितना कम।

आखिरी सिगरेट की माँग के साथ ही असलियत – उस वक्त की ‘पहचान’ जिसे हमने अभी-अभी गुजारा था – साफ हो गई। हम धीरज धरे 20 मिनट तक इंतज़ार करते खड़े रहे और कैदी अपनी इच्छाएं प्रकट करता रहा जिन्हें तुरंत ही पूरा कर दिया गया। उस समय के मालिक होने का हमने उसे पूरा मौका दिया। ये उसकी सम्पत्ति थी। लेकिन अब एक और सच्चाई ऊभर रही थी। कि समय उससे छीना जा रहा था। उसकी आखिरी सिगरेट की गुजारिश नामंजूर कर दी गई थी और आनन-फानन में उसका गिलास भी खत्म करवाया गया ताकि सब जल्द निपटाया जा सके। उसने आखिरी चुस्की ली। गिलास गार्ड को थमाया। तुरंत ही जल्लाद के एक सहयोगी ने अपनी कमीज़ की जेब से एक कैंची निकाली और कैदी की नीली कमीज़ की कॉलर काटकर अलग करने लगा। जल्लाद ने इशारा किया कि कट जरूरत के हिसाब से छोटा है। तो चीजों को आसान करने के लिए सहयोगी ने कमीज़ के कंधों के हिस्से में दो बड़े कट लगाए और कंधे का पूरा हिस्सा ही निकाल दिया।        

(कॉलर काटने से पहले) तेजी से, उसके हाथों को पीछे रस्सी से बांध दिया गया। मदद देकर उसे खड़ा किया गया। गार्डों ने गलियारे का एक दरवाज़ा खोला। सामने दरवाज़े की दूसरी ओर गिलोटिन था। लगभग बिना किसी हिचकिचाहट के मैं गार्डों के पीछे हो लिया जो कैदी को धकियाते हुए आगे बढ़ा रहे थे और उस कमरे (या शायद एक आँगन?) में दाखिल हुआ जहां ‘मशीन’ खड़ी हुई थी। उसके ठीक पीछे एक खुली हुई भूरी बुनी टोकरी थी। सब कुछ काफी तेजी से घटा। उसके शरीर को नीचे फेंक दिया गया लेकिन ठीक उसी क्षण मैंने अपना चेहरा घुमा लिया। डर के चलते नहीं, लेकिन एक तरह की सहज प्रवृति व गहरी बसी शालीनता (मेरे पास अन्य कोई शब्द नही) के चलते।

मुझे एक अस्पष्ट व मंद सी आवाज़ सुनाई दी। मैं घूमा – रक्त, ढेर सारा रक्त, एकदम लाल रक्त – शरीर टोकरी में लुढ़का पड़ा हुआ था। एक सेकेंड में, एक जीवन काट दिया गया था। एक आदमी जो चंद मिनट पहले ही बातें कर रहा था महज़ एक टोकरी में पड़े नीले पैज़ामे के और कुछ भी ना था। किसी गार्ड ने एक होज़ पाईप निकाल लिया। गुनाह के सुबूतों को जल्द मिटाना था... मुझे उबकाई महसूस हुई लेकिन मैंने अपने आपको संभाला। मेरे अंदर घृणा और ठंडे क्रोध की भावना थी।  

हम आफिस गए जहां DA ने आधिकारिक रपट तैयार करने के लिए बच्चों की तरह बेकार का हंगामा मचा रखा था।  D. ने हर हिस्से की ध्यान से जांच की। यह बहुत महत्त्वपूर्ण है, एक मृत्युदंड की आधिकारिक रपट! सुबह 5:10  बजे मैं घर के लिए निकल गया।

मैं इन लाइनों को लिख रहा हूं। सुबह के 6 बजकर 10 मिनट हो रहे हैं।

जज Monique Mabelly

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source: http://deathpenaltynews.blogspot.in/2013/10/20-minutes-to-death-record-of-last.html
फ्रेंच से अंग्रेजी में अनुवाद - Anya Martin Death Penalty News Admin   

अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद – विवेक मेहता




[1] गिलोटिन से सिर कलम कर




मोहनदास गांधी
एक आंख के बदले आंख सारे संसार को अंधा बना देगी

कौफी अन्नान
क्या राज्य, जो पूरे समाज का प्रतिनिधित्व करता है व जिस पर समाज की रक्षा करने का कर्तव्य है, अपने आप को उस हत्यारे के स्तर पर गिराकर व उसके साथ वैसा ही बर्ताव कर जैसा उसने दूसरों के साथ किया अपने उस कर्तव्य का पालन करता है?  भले ही कानूनी प्रक्रियाएं जायज़ ठहराएं लेकिन एक इंसान के द्वारा किसी अन्य इंसान का जीवन समाप्त करना अपरिवर्तनीय व कहीं ज्यादा निरंकुश है

अल्बर्ट आइन्स्टाइन
मैं इस दृढ़ विश्वास पर पहुंच चुका हूं कि मौत की सजा का उन्मूलन जरूरी है। कारण: १) अगर न्यायिक प्रक्रिया में त्रुटी हो तो भूल को सुधारा नहीं जा सकता, २) प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस प्रक्रिया को अंजाम देने वालों पर इसका हानिकारक नैतिक प्रभाव पड़ता है

 

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