Monday, February 22, 2016

कितना भोला है मेरा देश

जब आज सारी दुनिया मंद है पड़ी,
लोगों की जेबें लगातार कट रहीं,
मर रहा मज़दूर.
किसान दे रहा है जान,
भूख है शिखर पर और खरबपति भी,
फिर भी मेरा ये देश डंका पीट है रहा,
हो रही inclusive ग्रोथ, बढ़ रहा GDP
वो शायद इसी को विकास ,'अच्छे दिन', समझता है.

कितना भोला है मेरा देश,
सचमुच बड़ा भोला है!

हाथों से हुनर छीन लिया
जिस बीमारी ने,
उसके ही नए रूप - "Skill India, Make in India"
को ईलाज कहता है,
पूँजी के सामने है नतमस्तक पड़ा,
तिस पर भी अपने आपको सिकंदर समझता है.

कितना भोला है मेरा देश,
सचमुच बड़ा भोला है!

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