ऐ सांप!
मेरी एक बात मानोगे?
तुम इंसानी शहरों में ना आया करो।
ये इंसान बड़ी सभ्य प्रजाति है
और
जो उनकी नज़र में सभ्य नही है
वे उन्हें सभ्य बनाने में लगे हुए हैं...
गर तुम्हें भी सभ्य बन जाने के स्वप्न मात्र से ही
डर लगता हो
तो
मेरी बात मान लो
और
किसी सचमुच के जंगल में
किसी पुराने दरख्त के
किसी कोटर का
रुख कर लो,
ऐसे जंगल की ओर
जो सभ्यता से कहीं दूर हों...
वरना यहां के दरख्त तो कबके सभ्य हो चुके
संवरे से ड्राईंगरूम्स् में सभ्य
बने सजे हुए हैं।
मेरी एक बात मानोगे?
तुम इंसानी शहरों में ना आया करो।
ये इंसान बड़ी सभ्य प्रजाति है
और
जो उनकी नज़र में सभ्य नही है
वे उन्हें सभ्य बनाने में लगे हुए हैं...
गर तुम्हें भी सभ्य बन जाने के स्वप्न मात्र से ही
डर लगता हो
तो
मेरी बात मान लो
और
किसी सचमुच के जंगल में
किसी पुराने दरख्त के
किसी कोटर का
रुख कर लो,
ऐसे जंगल की ओर
जो सभ्यता से कहीं दूर हों...
वरना यहां के दरख्त तो कबके सभ्य हो चुके
संवरे से ड्राईंगरूम्स् में सभ्य
बने सजे हुए हैं।