ब्रहमपुत्र, गणेश घाट, तेजपुर , असम
बाढ़ का पानी
पानी में बहता हुआ
एक लाल रंग का बस्ता...
जाने किसका है?
शायद किसी बच्चे का हो
जिसने तैयार कर उसे
रात रखा हो सिराहने
और सुबह तक
नदी का पानी
इतना चढ़ आया हो
कि बस्ता बह गया
और वो बच्चा ...
नहीं-नहीं
ये ख्याल अच्छा नहीं
बाढ़ तो हर साल आती है
उस बच्चे की मां भी यह जानती होगी
ले गई होगी अपने बच्चों को वो
किसी सुरक्षित जगह
हमेशा की तरह
इस बार भी
बस बस्ता ले जाना भूल गई
शायद और भी बहुत कुछ छूट गया होगा
नदी के तेज पानी के साथ
ख्याल भी बह चले
तैर सकता तो
लाकर देखता
उस बस्ते के अंदर क्या है?
कुछ भीगी कापी-किताबें
एक सीली से पेंसिल शायद
या कहो
खाली ही होता
बस्ता
इस खाली शाम की तरह
बाढ़ का पानी
पानी में बहता हुआ
एक लाल रंग का बस्ता...
जाने किसका है?
शायद किसी बच्चे का हो
जिसने तैयार कर उसे
रात रखा हो सिराहने
और सुबह तक
नदी का पानी
इतना चढ़ आया हो
कि बस्ता बह गया
और वो बच्चा ...
नहीं-नहीं
ये ख्याल अच्छा नहीं
बाढ़ तो हर साल आती है
उस बच्चे की मां भी यह जानती होगी
ले गई होगी अपने बच्चों को वो
किसी सुरक्षित जगह
हमेशा की तरह
इस बार भी
बस बस्ता ले जाना भूल गई
शायद और भी बहुत कुछ छूट गया होगा
नदी के तेज पानी के साथ
ख्याल भी बह चले
तैर सकता तो
लाकर देखता
उस बस्ते के अंदर क्या है?
कुछ भीगी कापी-किताबें
एक सीली से पेंसिल शायद
या कहो
खाली ही होता
बस्ता
इस खाली शाम की तरह