Thursday, January 19, 2012

सरल है जीवन

सरल है जीवन,
क्यों कठिन बनाते हो?

तारों भरा आसमान देखा है कभी?
वो हर किसी के लिए जगमगाता है,
हर किसी के लिए होता है,
मानो सारी दुनिया की साझी दौलत हो,
विरासत हो,

तुम क्यों,
दुनिया की साझी दौलत को,
अपनी तिजोरी में कैद कर लेना चाहते हो?

सरल है जीवन,
क्यों कठिन बनाते हो?

सांस तो लेते होगे?
दिल भी धड़कता होगा,
नर्म हवाओं ने तुम्हारा जिस्म
भी छुआ होगा,
वो मज़हब देखकर,
जिस्म में नहीं आती हमारे.

तुम क्यों,
नाम पे मज़हब के
किसी की साँसे रोकते हो,
रुकवाते हो?

सरल है जीवन,
क्यों कठिन बनाते हो?


(लोकेश के द्वारा)


किसी से (Originally जरा सी) मोहब्बत हुई  है कभी? 
वो  हमारी जीवन  उर्जा  है, 
मोहब्बत जो  सभी को होती है, 
मानो सब आपस मे  सूत्र से बंधे हों, 
एक संरचना मे, 

तुम क्यों,
उस सरंचना  को,
नियमो  से तोड़ देना चाहते हो? 

सरल है जीवन,
क्यों कठिन बनाते हो? 

संवाद प्रकाश के साथिओं के साथ कभी कुछ लिखने की योजना बनाई थी..वही..


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