शांत सकी हो अब तक साकी,पी कर किस उर की ज्वाला,और-और की रटन लगाता,जाता हर पीने वाला।कितनी इच्छायें हर जाने वालाछोड़ यहां जाता।कितने अरमानों की बनकर कब्र खड़ी है मधुशाला. . . .
शांत सकी हो अब तक साकी,
ReplyDeleteपी कर किस उर की ज्वाला,
और-और की रटन लगाता,
जाता हर पीने वाला।
कितनी इच्छायें हर जाने वाला
छोड़ यहां जाता।
कितने अरमानों की बनकर
कब्र खड़ी है
मधुशाला. . . .