Sunday, April 17, 2011

हमारा सन्देश

देखा है कभी किसी पेड़ को ध्यान से ?
पर ध्यान से देखने के बाद भी तो
सिर्फ ज़मीन के ऊपर ही देख पाते हैं हम
ज़मीन के नीचे दबी जड़ों को कहाँ देखा है हमने?
जड़ें, जो मिट्टी में सनी हुई हैं
इस कड़ी ज़मीन में अपना रास्ता बना रही हैं
जाने कैसे जी रही हैं?
पर कितना ज़रूरी है उनका जीना
इस पेड़ को जिंदा रखने के लिए
काश पेड़ों की शाखाओं पर टंगे हम
ये बात समझ पाते
कि पेड़ में सिर्फ फूल नहीं होते
पत्तियां नहीं होतीं, फल ही नहीं होते
जड़ें भी होतीं हैं
और वो जी ना पायें अगर
तो पेड़ भी मर जाता है....

Monday, April 11, 2011

उनका सन्देश

वो कहते हैं हमसे
कि उन्हें गर्व है
इन भव्य इमारतों पर
बड़ा खुश होते हैं
वो इन्हें देखकर

और  ये भी कहते हैं कि
हमें भी होना चाहिए
गर्व
इन स्वर्ग सी इमारतों पर
जिन्हें बनाने वालों की विदाई
अब वहां से हो चुकी है.

हम गर पूछते हैं उनसे
कि वो कहाँ गए
तो जवाब मिलता है
जिस नरक से आये थे
वहीं लौट गए
पर तुम उनके बारे में
मत सोचो.

वो कहते हैं
कि भले ही
हम लोगों ने हमेशा
गीता के सन्देश
कर्म करो फल की चिंता मत करो
की दुहाई दी है
पर वो सन्देश
हमारे लिए नहीं है
उनके लिए है
जो चले गए .

हमारे लिए सन्देश
अलग है
फल खाओ और कर्म की चिंता मत करो
और ना उनकी
जो कर्म कर रहे हैं.
समझे....

Friday, April 8, 2011

जन्मदिन

जन्मदिन हर बार जोड़ जाता है
एक पन्ना
मेरी ज़िन्दगी की किताब में
यही तोहफा है उसका
मेरे लिए

उस पन्ने पर
छाप है 
कुछ पिछले पन्नों की
बाकि खाली है
लिखने को
मेरे और दूसरों के लिए 

सच ही तो है 
मेरी ज़िन्दगी की किताब 
मैं अकेला कहाँ लिख रहा हूँ 
कई हाथ शामिल हैं 
इसे लिखने में 

हाँ ये बात और है कि
इनमे से कुछ की शक्लें मैं पहचानता हूँ 
कुछ को नामों से जानता हूँ
और 
अनगिनत ऐसे भी हैं 
जिन्हें कभी देखा नहीं 
सुना भी नहीं