मीठी इन दिनों अपनी बातों से
दुनिया बदलने का
एक रास्ता सुझा रही है...
उसे जब भी बाहर जाना
होता है, वो अंदर-अंदर
दोहराती है..
मुझे वो मम्मी और
निर्माली को बिबेक
कह कर बुलाती है...
सही है ना?
अंदर को बाहर और
बाहर को अंदर बनाया जाए..
मम्मी को पापा तो
पापा को मम्मी बनाया जाए..
पूरब को पश्चिम बनाया जाए और
उत्तर को दक्षिण..
दिन को रात बनाया जाए और
रात को दिन..
मालिक को मजदूर और
मजदूर को मालिक बनाया जाए..
Political को Personal और
Personal को Political बनाया जाए..
कुल मिला कर
इस दुनिया को
उल्टा कर,
सर के बल चलाया जाए...
दुनिया बदलने का
एक रास्ता सुझा रही है...
उसे जब भी बाहर जाना
होता है, वो अंदर-अंदर
दोहराती है..
मुझे वो मम्मी और
निर्माली को बिबेक
कह कर बुलाती है...
सही है ना?
अंदर को बाहर और
बाहर को अंदर बनाया जाए..
मम्मी को पापा तो
पापा को मम्मी बनाया जाए..
पूरब को पश्चिम बनाया जाए और
उत्तर को दक्षिण..
दिन को रात बनाया जाए और
रात को दिन..
मालिक को मजदूर और
मजदूर को मालिक बनाया जाए..
Political को Personal और
Personal को Political बनाया जाए..
कुल मिला कर
इस दुनिया को
उल्टा कर,
सर के बल चलाया जाए...
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