एक वीडियो Whatsapp पर फैल रहा है
बांटा जा रहा है
मित्रों के बीच
एक ग्रुप से दूसरे ग्रुप में
शुरु कहां से हुआ होगा
ये तो मुश्किल है बताना
पर मंशा क्या रही होगी उनकी?
उस पर शायद कुछ
सोच पाएं हम-आप
पर पहले
वीडियो में था क्या
यह तो बतला दूं
पुलिसिया सायरन के साथ
सड़क पर दिन-दहाड़े
दौड़ रही कई खुली गाड़ियां
हवा में बड़ी गनें लहराते
कई वर्दीधारी
दूसरे दृश्य में
एक बोरी से आधा निकला हुआ
नीले कपड़ों मे
अधमरा सा एक इंसान
एक खाकी दरी में ज़मीन पर
औंधे मुंह लेटा हुआ है
तीसरा दृश्य
एक वर्दीधारी अपनी
आटोमैटिक गन के साथ
उसके सर पर निशाना लगाए
खड़ा दिखता है
निशाना गर्दन पर
ठाएं की एक आवाज के साथ
बंदूक चलती है
पहली गोली में
जान नही निकलती
तो दूसरी चलती है
इस बार खून भी दिखता है
लेकिन जान अब भी बाकी है
तो तीसरी चलती है
अब शरीर में
हरकत नहीं होती
चौथा दृश्य
शरीर को एक क्रेन से
बांधकर
बीच सड़क पर
लटका दिया जाता है
जो कुछ घट रहा है
वो सिर्फ उन लोगों
की खुराक के लिये
बस नहीं
जो साक्षात वहां मौजूद हैं
सब कुछ कैमरे में
कैद कर रहा है कोई
वो कौन है
ये तो पता कर पाना मुश्किल है
लेकिन मंशा क्या रही होगी
उसकी?
उस पर शायद कुछ
सोच पाएं हम-आप
क्या चाहते हैं वे
जो अंजाम दे रहे हैं, ऐसी घटनाओं को
और फिर फिल्माते भी हैं अपने उस कृत्य को?
क्या चाहते हैं वे
जो फैला रहे हैं ऐसी घटनाओं के वीडियो?
क्या वे हमें
डराना चाहते हैं?
हमेशा डर के साये में
रखना चाहते हैं?
क्या वे इस डर के बहाने
कोई कानून बनवाना चाहते हैं?
या कोई चुनाव जीतना?
या फिर वे हमें
इस खुशफहमी में रखना चाहते हैं कि
हालात अभी यहां उतने भी बुरे नहीं
और साथ ही यह जताना भी कि
कहीं आ गए वो बंदूकधारी
तो जाने क्या हो?
या फिर
क्या वे चाहते हैं कि
इस तरह की घटनाओं के
हम आदी बन जाएं
ताकी जो कुछ अभी
यहां रात के अंधेरे में
होता है
कल जब दिन-दहाड़े
होने लगे तो
हमें कुछ अजीब ना लगे?
या फिर बात कुछ और है?
जिस पर
शायद कुछ सोच पाएं
हम-आप...
बांटा जा रहा है
मित्रों के बीच
एक ग्रुप से दूसरे ग्रुप में
शुरु कहां से हुआ होगा
ये तो मुश्किल है बताना
पर मंशा क्या रही होगी उनकी?
उस पर शायद कुछ
सोच पाएं हम-आप
पर पहले
वीडियो में था क्या
यह तो बतला दूं
पुलिसिया सायरन के साथ
सड़क पर दिन-दहाड़े
दौड़ रही कई खुली गाड़ियां
हवा में बड़ी गनें लहराते
कई वर्दीधारी
दूसरे दृश्य में
एक बोरी से आधा निकला हुआ
नीले कपड़ों मे
अधमरा सा एक इंसान
एक खाकी दरी में ज़मीन पर
औंधे मुंह लेटा हुआ है
तीसरा दृश्य
एक वर्दीधारी अपनी
आटोमैटिक गन के साथ
उसके सर पर निशाना लगाए
खड़ा दिखता है
निशाना गर्दन पर
ठाएं की एक आवाज के साथ
बंदूक चलती है
पहली गोली में
जान नही निकलती
तो दूसरी चलती है
इस बार खून भी दिखता है
लेकिन जान अब भी बाकी है
तो तीसरी चलती है
अब शरीर में
हरकत नहीं होती
चौथा दृश्य
शरीर को एक क्रेन से
बांधकर
बीच सड़क पर
लटका दिया जाता है
जो कुछ घट रहा है
वो सिर्फ उन लोगों
की खुराक के लिये
बस नहीं
जो साक्षात वहां मौजूद हैं
सब कुछ कैमरे में
कैद कर रहा है कोई
वो कौन है
ये तो पता कर पाना मुश्किल है
लेकिन मंशा क्या रही होगी
उसकी?
उस पर शायद कुछ
सोच पाएं हम-आप
क्या चाहते हैं वे
जो अंजाम दे रहे हैं, ऐसी घटनाओं को
और फिर फिल्माते भी हैं अपने उस कृत्य को?
क्या चाहते हैं वे
जो फैला रहे हैं ऐसी घटनाओं के वीडियो?
क्या वे हमें
डराना चाहते हैं?
हमेशा डर के साये में
रखना चाहते हैं?
क्या वे इस डर के बहाने
कोई कानून बनवाना चाहते हैं?
या कोई चुनाव जीतना?
या फिर वे हमें
इस खुशफहमी में रखना चाहते हैं कि
हालात अभी यहां उतने भी बुरे नहीं
और साथ ही यह जताना भी कि
कहीं आ गए वो बंदूकधारी
तो जाने क्या हो?
या फिर
क्या वे चाहते हैं कि
इस तरह की घटनाओं के
हम आदी बन जाएं
ताकी जो कुछ अभी
यहां रात के अंधेरे में
होता है
कल जब दिन-दहाड़े
होने लगे तो
हमें कुछ अजीब ना लगे?
या फिर बात कुछ और है?
जिस पर
शायद कुछ सोच पाएं
हम-आप...
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